द गर्ल इन रूम 105–२३
क्या? मैं किसी को यह कैसे समझाऊंगा कि एक कोचिंग क्लास ट्यूटर रात के तीन बजे गर्ल्स हॉस्टल में
क्या कर रहा है?"
"मुझे क्या पता?" मैंने अपने चेहरे से पेड़ के पत्ते हटाते हुए कहा।
देखा।
"भाई, तुम यह सब बिना सोचे-समझे कर रहे हो।' "कोई बात नहीं, यहां कोई नहीं आएगा, मैंने कहा और ऊपर देखा। कुछ और इंच ऊपर चढ़कर मैंने नीचे
'डैम, बिग प्रॉब्लम, मैंने कहा। सौरभ का मुंह उतर गया। "क्या?"
'मैं उसके लिए कोई गिफ़्ट लेकर नहीं आया।'
'सीरियसली, भाई? इसको तुम बिग प्रॉब्लम बोलते हो?"
'मैं सालों बाद उससे मिल रहा हूं, उसका बर्थडे है और मैं ख़ाली हाथ चला आया।'
"उसको बाद में एक अमेज़ॉन वाउचर भेज देना, लेकिन अभी प्लीज़ जो काम करने आए हो, वह कर लो।'
'ना गिफ्ट, ना केक, लानत है।' मैंने बड़बड़ाते हुए कहा। पेड़ पर चढ़ते समय मैंने पाया कि मेरी फिटनेस
लेवल अब पहले जैसी नहीं रही। शायद चंदन क्लासेस में गणित पढ़ाने का यह नतीजा था. क्योंकि जब मैं
आईआईटी में था तो वॉलीबॉल टीम का कप्तान हुआ करता था। मैं ज़ारा की खिड़की के पास पहुंचा। उसने खिड़की को थोड़ा-सा खोल रखा था, जैसा कि वह पहले किया करती थी। मैंने खिड़की खोलने के लिए हाथ आगे बढ़ाया। कमरे में अंधेरा था। शायद वह सो चुकी थी। या शायद वह
मुझे सरप्राइज़ देने के लिए सोने का नाटक कर रही थी। जारा थोड़ी-सी पागल थी, मेरी तरह। या कम से कम, जब मैं उसे जानता था, तब वह थोड़ी-सी पागल हुआ करती थी। शायद इसीलिए हम दोनों के बीच बात बन पाई थी।
पेड़ की डालें अब बढ़ चुकी थीं। इसलिए पहले की तरह मुझे कमरे में कूदना नहीं पड़ा। मैंने खिड़की पर पांव
रखा और भीतर चला आया।
"हैप्पी बर्थडे टू यू.' खिड़की बंद करते हुए मैं धीरे-धीरे गुनगुनाने लगा। मैं दबे पांव कमरे में चला आया था और मेरी आंखें अंधेरे की अभ्यस्त होने की कोशिश कर रही थीं। कमरे में केवल हीटर की धीमी आवाज़ ही सुनाई दे रही थी। 'हैप्पी बर्थडे, डियर जारा, मैंने गाना जारी रखा। मैं उसके बिस्तर के पास चला गया था। आखिर उसने ही
मुझे यहां बुलाया था, लेकिन मैं तय नहीं कर पा रहा था कि पहले की तरह उसके बिस्तर में घुस जाना और उसे
बांहों में भर लेना अभी ठीक होगा या नहीं। नहीं अब हम एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में नहीं थे, अभी मैं ऐसा
नहीं कर सकता था। लेकिन यह उसी ने तो कहा था कि वह मुझे मिस करती हैं। मैंने फोन निकाला और टॉर्च ऑन की। व्हाइट एलईडी लाइट ने कमरे में रोशनी की। मुझे बिस्तर पर जारा सोती हुई दिखाई दी। चादर से उसका चेहरा आधे से
ज़्यादा ढंका हुआ था। 'जारा,' मैंने कोमल स्वर में कहा 'मैं केशव, मैं आ गया हूं। ' उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैंने बेडसाइड लैंप का स्विच खोजा और लाइट जला दी। जारा बिस्तर में सो
रही थी और उसकी सफ़ेद चादर पर पिंक फ्लॉवर्स बने हुए थे। 'हे, बर्थडे गर्ल, ' मैंने कहा 'मैं तुम्हें विश करने आया हूं।"
अब भी कोई हलचल नहीं हुई। ओके, नाइस एक्टिंग, बेरी क्यूट, मैंने सोचा। मैंने कमरे में देखा। उसकी
बेडसाइड टेबल पर पेपर शीट्स का एक बंडल रखा था, शायद स्टडी मटीरियल । उसका आईफोन उसके ऊपर
रखा था और चार्ज हो रहा था। हमेशा की तरह ज़ारा के पास जॉनसन्स बेबी लोशन रखा था। वह उसे चेहरे और
बदन पर लगाती थी, और इसलिए उसमें से हमेशा बच्चों जैसी खुशबू आया करती थी।
'हे, जॉनसन्स बेबी, उठ जाओ।' मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया और उसे हल्के से हिलाया। लेकिन वह नहीं हिली। क्या वह भी ड्रिंक कर रही थी? कहीं उसने नशे की हालत में ही तो मुझे यहां नहीं बुला लिया था?
में बुला रही थी?